🌸 भस्त्रिका प्राणायाम 🌸
भस्त्रिका प्राणायाम जीवन में ऊर्जा का विस्फोट है। यह साधारण साँस नहीं, बल्कि भीतर की शक्ति को जगाने का अद्भुत साधन है। तेज़ और गहरी श्वास-प्रश्वास से शरीर की हर कोशिका तक ऑक्सीजन पहुँचती है और आलस्य, थकान, निराशा तुरंत दूर हो जाती है। इसका नियमित अभ्यास आत्मविश्वास को बढ़ाता है, मन को स्थिर करता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। जब भी जीवन में कमजोरी या हताशा महसूस हो, भस्त्रिका प्राणायाम करें और भीतर से नई ऊर्जा पाएं। यह हमें याद दिलाता है कि असली शक्ति हमारे अंदर है—बस उसे जगाने की ज़रूरत है।
🌟 भस्त्रिका प्राणायाम के अद्भुत फायदे 🌟
💨 फेफड़ों को मजबूत बनाता है और सांस संबंधी रोगों से बचाता है।
⚡ ऊर्जा और जोश बढ़ाता है, थकान और आलस्य मिटाता है।
🧠 मन को शांत व एकाग्र करता है, तनाव और चिंता दूर करता है।
💖 हृदय और रक्तसंचार को बेहतर बनाता है, ब्लड प्रेशर संतुलित करने में मदद करता है।
🛡️ प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाता है, जिससे बीमारियाँ कम होती हैं।
🔥 पाचन शक्ति में सुधार करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ (toxins) बाहर निकालता है।
🧘 आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास दोनों को प्रबल करता है।
👉 रोज़ सिर्फ 5–10 मिनट भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास आपके शरीर, मन और आत्मा को नई ऊर्जा से भर देता है।
✅ भस्त्रिका प्राणायाम करने की आसान विधि
बैठने की स्थिति – सुखासन, पद्मासन या कुर्सी पर सीधी रीढ़ के साथ बैठें।
हाथों की मुद्रा – ज्ञान मुद्रा (अंगूठा और तर्जनी को मिलाएँ) लगाएँ।
शुरुआत – नाक से गहरी साँस भरें और ज़ोर से छोड़ें।
गति – यह क्रिया तेज़ी से करें, जैसे धौंकनी चलती है। (Inhale–Exhale बराबर गति से)
दोहराव – एक राउंड में 20–25 श्वास-प्रश्वास करें, फिर 30 सेकंड आराम करें।
राउंड्स – धीरे-धीरे 3–5 राउंड तक अभ्यास करें।
ध्यान – पूरा फोकस साँस पर रखें, मन को भटकने न दें।
⚡ सावधानी –
उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या चक्कर आने की समस्या वाले लोग इसे हल्के और योग विशेषज्ञ की देखरेख में करें।
हमेशा खाली पेट या हल्के भोजन के 3 घंटे बाद अभ्यास करें।